पश्चिमी उपनगरोंकी विरार से बोरीवली 5 वीं 6 ठी लाइनका काम तेजी से शुरू.
भीड़ के समय में विरार से बोरीवली उपनगरों में, ट्रेन की यात्रा करनी हो तो भगवान को याद करना पड़ता हैं. इस क्षेत्र की जनसंख्या दिन दुगुना, रात चौगुना बढ़ी हैं. उस वजसे से रेल यात्री की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई हैं.
तेजी से बढ़ती ट्रैफिक समस्या को देखते हुए, यात्रीयोकी सुविधा के लिए रेलवे प्रशासन ने विरार से बोरीवली के बिच 5वीं और 6ठी लाइनका काम तेजी से शुरू कर दिया हैं. मुंबई की लाइफ लाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेन सेवा का सुधार अब तेजी से होगा.
भायंदर की बात करें तो भाईंदर स्टेशन सन 1868 के करीब बनना शुरू हुआ. भारतमें यात्रियों के लिए रेलवे की शुरुआत 16 अप्रैल, 1853 को हुई थी. इस दिन बोरी बंदर (बॉम्बे) और ठाणे के बीच 34 किलोमीटर की दूरी तक पहली यात्री ट्रेन चली थी. इस ट्रेन को तीन भाप इंजनों ने चलाया था. इनके नाम थे साहिब, सिंध, और सुल्तान.
पहले कोयले से भाप इंजिन की ट्रैन चलती थी, फिर डीज़ल और अब बिजली का चलन हैं. 150 साल पहले मुंबई में 4 डिब्बों से शुरू हुआ ट्रैन का सफ़र आज एसी लोकल तक पहुंच गया है. शुरुमे बोरीवली से कोलाबा तक 4 डिब्बे की ट्रैन चलती थी. उस समय सिर्फ दो लाइन डाली गई थी, जो सन 1990 तक विद्यमान थी.
कोलाबा टर्मिनस रेलवे स्टेशन 31 दिसंबर, 1930 को बंद हो गया था. इस दिन कोलाबा से शहर के उत्तरी छोर तक आखिरी लोकल चली थी. इसके बाद 1933 तक इस सेक्शन को खत्म कर दिया गया और फिर लाइन चर्चगेट तक सिमित कर दी गई थी.
भीड़ को देखते हुए डिब्बे की संख्या बढ़ती गई. अस्सी के दशक में उपनगरों की जनसंख्या तेजीसे बढ़ी. रेल प्रशासन ने 8 डिब्बे की ट्रैन चलाई. भीड़ को काबूमें पाने के लिए विरार से बोरीवली तीन डिब्बे की शटल सेवा शुरू की. फिर 9 डिब्बे की ट्रैन हुई. और अब 12 और 15 डिब्बे की ट्रैन वर्तमान में चल रही हैं. फिर भी यात्रिओकी भीड़ की समस्या यथावत हैं.
ज्यादा लोकल चलाने के लिए लाइनों की आवश्यकता को देखते हुए पश्चिम रेलवे ट्रैक बढाने जा रहीं हैं. पश्चिम रेलवे पर विरार से बोरीवली के लिए 5 वीं, 6 ठी लाइन के काम की तेजीसे शुरुआत हो चुकी है गोरेगांव से बोरीवली तक हार्बर लाइन को भी विस्तार दिया जा रहा है. गोरेगांव से बोरीवली तक 6 ठी लाइन बनाने का काम पश्चिम रेलवे ने शुरू कर दिया है. गोरेगांव से खार के बीच 6 ठी लाइन के कनेक्शन का काम हो गया है.
विरार तक 26 किमी ट्रैक :
पश्चिम रेलवे पर लंबी दूरी और लोकल ट्रेनों को अलग अलग ट्रैक पर चलाने के उद्देश्य से 5 वीं और 6 ठी लाइन की आवश्यकता आ पड़ी है. एमआरवीसी के माध्यम से बोरीवली से विरार तक 26 किलो मीटर लम्बा दो अतिरिक्त रेलवे ट्रैक बिछाया जाएगा. इसके लिए जॉइंट मेजरमेंट की शुरुआत हो चुकी है.
एमआरवीसी के मुख्य प्रवक्ता के अनुसार एमयुटीपी 3 ए के अंतर्गत यह परियोजना शुरू की गई है. भूमि अधिग्रहण का काम भी शुरू हो गया है. इसके तहत 6.86 हेक्टयर निजी, 10.33 हेक्टेयर सरकारी और सॉल्ट पेन लैंड की आवश्यकता है. पहले चरण में 12.78 हेक्टेयर मैन्ग्रोज को हटाने की परमिशन भी मिल चुकी है
इस बहुउद्देशीय परियोजना पर 2184 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे. यह केंद्र व राज्य का जॉइंट वेंचर होने के कारण इसमें 1092 करोड़ रेल मंत्रालय और 1092 करोड़ राज्य सरकार खर्च करेगी. भायंदर वसई खाड़ी पर जरुरी ब्रिज के निर्माण के साथ 3 मेजर और 15 माइनर ब्रिज, आरओबी और RUB का निर्माण होगा. वैसे इस प्रोजेक्ट को 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य है.
मुंबई की लोकल देश की सबसे सस्ती और सुलभ परिवहन सेवा के रूप में जानी जाती है. रोजाना 75 लाख से ज्यादा यात्री लोकल सेवा का उपयोग करते हैं. एमएमआर की तेजी से बढ़ी आबादी को देखते हुए आने वाले दिनों में भी मुंबई से उपनगरों के लिए ज्यादा लोकल चलाने की आवश्यकता है.
पालघर जिले तक पश्चिमी उपनगरों का तेजी से विस्तार हुआ है. इसके लिए विरार से डहाणू के बीच तीसरी और चौथी लाइन का काम भी एमआरवीसी कर रही है. पश्चिम उपनगरों में लाइफ लाइन को गति देने का काम तेजी से शुरू है.
पश्चिमी रेलवे के निर्माण के लिए कई सरकारी रेलवे को मिलाया गया था. इनमें शामिल थे :
बॉम्बे, बड़ौदा और सेंट्रल इंडिया रेलवे (BB&CI) सौराष्ट्र रेलवे, राजपुताना रेलवे, जयपुर स्टेट रेलवे, कच्छ स्टेट रेलवे की नैरो-गेज लाइनें.
ज्ञात हो भारत में यात्रियों के लिए रेलवे की शुरुआत अंग्रेज़ों ने 1853 में की थी. 16 अप्रैल, 1853 को पहली यात्री ट्रेन बोरी बंदर (बॉम्बे) और ठाणे के बीच 34 किलोमीटर की दूरी तय की थी.
यहां पर उल्लेखनीय हैं कि रेल यात्राओ की सुविधा के लिए भाईंदर भूमि समाचार पत्र के प्रधान संपादक श्री पुरुषोत्तम लाल बिहारीलाल चतुर्वेदी जी के मार्गदर्शन में और स्व : गौतम जैन के नेतृत्व में भाईंदर पूर्व में जनआंदोलन किया था.
संतप्त भीड़ ने भाईंदर के इतिहास में पहली बार राजधानी एक्सप्रेस को रोका गया था. जिसकी न्यूज़ BBC पर आयी थी. भीड़ को काबुमे लेने रेलवे सुरक्षा दल ने बर्बरता पूर्वक अंधाधुंद गोली चलाई थी, जिसमे 7 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी, और अन्य कई लोग घायल हुए थे. वह ता : 5 फरवरी 1985 का काला दिन था. इस घटना के बाद हीं यहाँकी रेल यात्री सुविधा में सुधार हुआ हैं.
मरने वाले शहीदों की याद में भाईंदर पूर्व स्थित एक शहीद स्मारक बनाया गया हैं, जहां हर साल शहीदों को पुष्प अर्पण करके भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी जाती हैं.