एक बार एक गांव में एक परदेसी बाबा आया. वो एक बड़े वृक्ष के निचे आसन जमाकार बैठ गए. गांव में एक बिरजू नामका किसान रहता था. उसने बाबा को देखा, और उसके नजदीक जाकर बोला, बाबा मुझे कोई एक ऐसा नुस्खा बताओ की मुझे ठाकोर जी का साक्षात्कार हो जाए जिससे मैं धन्य बन जाऊ. मेरा जीवन सफल हो जाए.
इसपर बाबाजी बोले, कि आपको एक नियम लेना होगा. इस पर बिरजू किसान बोला, बाबा बताओ मुझे क्या नियम लेना होगा ? बाबा बोले कि गांव में एक ठाकोर जी का मंदिर हैं, बस वहां दिन में रोज एक बार जाकर ठाकोर जी का दर्शन करना हैं.
इस पर बिरजू किसान बोले कि बाबा मुझसे यह नहीं होगा. मुझे इतना समय ही नहीं मिलता. बाबा बोले ठीक हैं, आप ऐसा नियम बनाओ की खेत में जाते समय मंदिर के बाहर से ही हाथ जोड़कर बिना रुके खेत में चले जाना. इस पर बिरजू किसान बोला, बाबा ये मुजसे नहीं हो पायेगा. मेरा खेत में जानेका रास्ता अलग हैं.
बाबा बोला, ठीक हैं. मगर आपके खेत के बाजुमें किसका खेत हैं? बिरजू बोला मेरे एक दोस्त भोले का खेत हैं. बाबा बोले, बस आपको आपके दोस्त का दिन में एक बार दोपहर के भोजन से पहले उसका चहेरा देखना हैं. इस पर बिरजू बोला, ये नियम में आसानीसे कर लूंगा. समय बितते गया. दोस्त का चहेरा देखने का नियमित क्रम चलते रहा. वह रोज मिलने के बहाने उसका चहेरा देखने चले जाता था.
एक दिन सुबह – सुबह वह दोस्त से मिलने उसके खेत में गया. यहां वहां सब जगह ढूँढा पर वह कही नहीं मिला. उसको नियम तोड़ना नहीं था. वह खूब व्याकुल हो उठा. दोपहर हो चुकी थी. किसीने बताया कि वहां उसके तालाव में गया हैं. वह तालाब की दिशामे चल पड़ा. उधर उसका दोस्त तालाब में से मिट्टी निकाल रहा था तो उसे तालाब में से एक सोने चांदी का घड़ा मिला.
वह खुश होकर घर की और प्रयान करने मुड़ा तो उसकी नजर अपने दोस्त बिरजू किसान पर पड़ी. वो कुछ बोले उससे पहले बिरजू चिल्लाने लगा….
देख लिया…… देख लिया… और अपने खेत की तरफ भागने लगा. भोला भी रुको…. रुको चिल्लाते उसके पीछे भागने लगा.
आखिर बिरजू को ठेस लगी और निचे गिर गया. तब तक भोला बिरजू के पास पहुंच चूका था. भोला ने कहा देख मेरे दोस्त, तुझे खजाने के बारेमें पता चल चूका हैं इसीलिए अब हम दोनों दो हिस्से में आधा आधा बाट लेंगे. दोनों दोस्तों ने सोने चांदी के सिक्के को दो भागमे बात लिया.
बिरजू ने संत बाबा की पूरी कहानी भोला को सुनाई और कहा की एक छोटे से नियम पालने से हम लोग इतने माला माल बन गए और यदि संत बाबा की पूरी बात मान लेते तो शायद भगवान के दर्शन भी हो जाते.
उस दिन से दोनों ठाकोर जी के भक्त बन गए.