सत्तर अस्सी के दशक मे भाईंदर की जन संख्या तेजीसे आगे बढ़ रही थी. फिर भी आज की तरह इतनी भीड़ नहीं थी. बोरीवली से विरार के बिच सिर्फ दो लाइन थी, मगर भीड़ काबूमें थी. तत्पश्चात जन संख्या बढ़ते गयी और शुरु हुआ जन समस्याओ का दौर ! भीड़ के मुकाबले ट्रैन बढ़ाने मे रेल प्रशासन असमर्थ रहा और यात्री की परेशानी बढ़ती गयी. अनेक पत्रकारों ने यहांकी समस्याओ को उछाला तो अनेक राजकीय नेता ओने तथा सामाजिक संस्था ओने पत्र लिखकर रेल विभाग को यहांकी समस्याओ के बारेमे अवगत कराया.