आपातकाल (EMERGENCY)

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आपातकाल किसे कहते है ? क्यों लगाया जाता है ? इसकी आज यहा पर हम लोग विगत से चर्चा करेंगे. देश के भीतर आंतरिक अशांति हो, बाहरी देशो के आक्रमण के समय अथवा वित्तीय संकट जैसे हालात में वर्तमान सरकार द्वारा आपातकाल ( Emergency ) की घोषणा की जाती है. हमारे भारत देश ने अब तक तीन आपातकाल की परिस्थिति देखी है.

( 1 ) सन 1962 में चीन के साथ युद्ध के वक्त.

( 2 ) सन 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान और

( 3 ) तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई आपातकाल (emergency) स्थिति सामिल है.  

     आंतरिक अशांति की वजह से अनुच्छेद 352 के अंतर्गत ता : 25 जून 1975 की आधी रात से 21 मार्च 1977 के बीच देश मे तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश मे आपातकाल की घोषणा की थी.        

           आपातकाल की घोषणा होते ही सभी नागरिकों के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए थे. अभिव्यक्ति का अधिकार छीन लिया गया था. लोकतंत्र व नागरिक आजादी को बंधक बना दिया था. ता : 25 जून की आधी रात से ही देश में विपक्ष के नेताओं की गिरफ्तारियों का दौर शुरू हो गया था. लालकृष्ण आडवाणी , श्री जयप्रकाश नारायण, श्री अटल बिहारी वाजपेयी, श्री जॉर्ज फर्नाडीस जी आदि बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया गया था आपातकाल की काली यादें आज भी कई लोग याद करते है. उस समय कई लोगोने निरंकुश सत्ता का खुलकर विरोध भी किया था. 

      विधानसभा अध्यक्ष श्री हृदयनारायण दीक्षित आपात काल के खिलाफ लड़े भी और उन्होंने उस दौरान उत्पीड़न भी सहा था. श्री हृदयनारायण दीक्षित तब लंबे समय तक जेल में ही रहे थे. देश के गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह और केद्रीय मंत्री श्री कलराज मिश्र भी आपातकाल में जेल में रहे थे. यूपी सरकार में कृषि मंत्री श्री सूर्यप्रताप शाही के पिता राजेंद्र शाही, चाचा रवींद्र शाही और आशुतोष टंडन के पिता लाल जी टंडन भी आपातकाल के दौरान इंदिरा सरकार द्वारा गिरफ्तार किये गये थे. 

           जेलों में जगह नहीं बची थी. आपातकाल के बाद प्रशासन और पुलिस के द्वारा भारी उत्पीड़न की कहानियां सामने आई थी. देश मे प्रेस पर भी सेसरशिप लगा दी गई थी. हर अखबार की कचहरी में सेंसर अधिकारी बैठा दिये गये थे. उस अधिकारी की अनुमति के बाद ही कोई समाचार छप सकता था. सरकार के विरोध मे समाचार छापने पर गिरफ्तारी हो सकती थी. यह सब ता : 23 जनवरी 1977 को मार्च महीने में चुनाव की घोषणा होने तक चला था.

       सन 1971 मे पाकिस्तान के साथ हुये युद्ध में सोवियत संघ ने भारत देश का साथ दिया था. जबकि अमरीका ने पाकिस्तान का साथ दिया था. तबसे रसिया शुरू से हमारा विश्वसनीय दोस्त रहा है. 

        इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय ने ता : 12 जून, 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने श्रीमती इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर छह साल तक चुनाव न लड़ने का प्रतिबंध लगा दिया था. उन पर चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग करना, अधिक खर्च करने का आरोप लगाया था. उच्च न्यायालय ने भी आरोपों को आंशिक रूप से सही ठहराया था. 

         श्रीमती इंदिरा गांधी ने इस्तीफा देने से इनकार करते हुए फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस श्री कृष्ण अय्यर ने 24 जून 1975 के अपने अंतरिम आदेश में इंदिरा गांधी को बिना शर्त राहत नहीं दी थी. पूर्व दृष्टांतों के आधार पर इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बने रहने, संसदीय कार्रवाई में भाग लेने की अनुमति दी पर संसद में वोट करने की अनुमति नहीं दी गई थी अतः विपक्ष की प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग तेज हो गई थी. 

      ता : 25 जून, 1975 की मध्यरात्रि को मंत्रिमंडल की अनुशंसा पर राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी थी. मगर हकीकत यह थी कि आपातकाल की घोषणा रेडियो पर पहले कर दी गई तथा बाद में सुबह मंत्रिमंडल की बैठक के बाद उस पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर किए थे. जबकि संवैधानिक प्रावधान यह है कि मंत्रि मंडल की बैठक के बाद उसकी अनुशंसा पर जब राष्ट्रपति हस्ताक्षर कर देते हैं तब आपातकाल की घोषणा की जा सकती है. 

       इमरजेंसी के बाद विरोध बढ़ने लगा तो श्रीमती इंदिरा गांधी ने लोकसभा भंग कर दी और चुनाव डिक्लेर किये. मगर ये फैसला उन्हें भारी पड़ा और स्वयं इंदिरा गांधी अपने गढ़ रायबरेली से चुनाव हार गई. 

       जनता पार्टी का उदय हुआ, और भारी बहुमत से सत्ता मे आयी. श्री मोरारजी देसाई ( 1977 – 1979 ) प्रधानमंत्री के रुप मे उभर कर सामने आया. संसद मे कांग्रेस के सदस्यो की संख्या 350 से घटकर 153 हो गई. और 30 वर्षों के बाद केंद्र में किसी ग़ैर कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ. कांग्रेस को उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में एक भी सीट नहीं मिली

        ( आपातकाल की कुछ अंदुरुनी बातें : )

*** सुबह तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश वासिओको रेडियो पर संदेश दिया की देश मे आपातकाल लागू हो गया है, सामान्य लोगों को डरने की जरुरत नहीं है. 

*** इंदिरा पर आरोप लगा की लोकतंत्र की काली रात इंदिरा सरकार ने छह महीने पहले ही बना दी थी. 

*** दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई 25 जून की रैली की खबर पूरे देश में न फैल सके इसके लिए दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित अखबारों के दफ्तरों की बिजली रात में ही काट दी गई थी. 

*** मेंटेनन्स ऑफ़ सिक्योरिटी एक्ट ( MISA ) के तहत एक लाख से ज्यादा लोगों को जेल मे डाल दिये गये थे. 

*** आपातकाल विरोधी आंदोलन के नायक श्री जय प्रकाश नारायण की किडनी कैद के दौरान ख़राब हो गई थी. 

*** दरम्यान श्रीमती इंदिरा गांधी के बेटे श्री संजय गांधी ने पांच सूत्रीय कार्यक्रम चलाया था. (1) परिवार नियोजन. (2) पेड़ लगाना (3) व्यस्क शिक्षा. (4) दहेज़ प्रथा का निर्मूलन (5) जाती प्रथा आदि का समावेश था. 

*** उनपर 19 महीने मे देश भर मे करीब 83 लाख पुरुषो की जबरदस्ती नसबंदी कराने का आरोप लगा था. 

*** इमर्जन्सी से पहले सन 1971 के आम चुनाव मे इंदिरा गांघी ने , ” गरीबी हटाओ ” का नारा दिया था. जो मतदाता को पसंद आया और कांग्रेस 352 सीट के साथ विजयी हुई. 

*** दिसंबर 1971 मे भारत ने पूर्वी पाकिस्तान ( बांग्लादेश ) को अपने कट्टर दुश्मन पाकिस्तान से स्वतंत्रता दिलवाई. 

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                              शिव सर्जन

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