वैश्विक अजूबा : मनभावन मोबाइल| 21st Century Wonder – Mobile Phone

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टेलीफोन टेक्नोलॉजी आज इतनी तेजी से आगे बढ़ गई हे की, मोबाइल विश्व का पहला अजूबा बनकर विश्व के सामने उभरकर आया है. मोबाइल एक छोटे बच्चों का खिलौना बन गया है जो कल तक एक लक्जरी आइटम था. 

वैसे देखा जाय तो मोबाइल ये टेलीफोन का नया विकशित किया हुआ रुप है. 

          वैज्ञानिक श्री एलेक्ज़ेंडर ग्रेहम बेल का कमाल हे, जिन्होंने टेलीफोन का आविष्कार किया था. ग्रेहम बेल का जन्म 3 मार्च 1847 में स्कॉटलैंड में हुआ था. उनका देहांत ता: 2 अगस्त 1922 में कैनेडा में हो गया था.  

         खुद श्री अलेक्ज़ेंडर ग्रेहम बेल को पता नहीं होगा की उसके द्वारा किया गया आविष्कार आगे चलकर मोबाइल का रुप धारण कर लेगा और मोबाइल के रूप में दुंनिया मे राज़ करेंगा.

        अमेरिकन वैज्ञानिक श्री मार्टिन कूपर ने जिन्होंने मोटोरोला के साथ मिलकर दुनिया का पहला मोबाइल फोन सन 1973 में लॉन्च किया. जो करीब एक किलो से ज्यादा वजन का था. उसके बाद उसमे संशोधन होते गया और आज का स्लिम, खूबसूरत, मनमोहक मोबाइल आपके हाथो में प्रस्तुत है !

       मिरा – भाईन्दर महा नगर पालिका की बात करें तो सन 1985 – 86 तक जनरल केटेगरी में फ़ोन बुक करने के बाद 14 साल बाद नंबर लगता था. यदि आप पत्रकार हो, या विशेष व्यक्क्ति हो तो स्पेशल कैटेगरी में पांच – छह साल लगते थे. आजकी तरह तब मोबाइल का जमाना नही था. मुंबई महा नगर टेलीफ़ोन निगम लि. द्वारा लैंड लाइन टेलीफोन का संचालन होता था. 

       टेलीफोन की डिमांड कुछ ज्यादा ही थी, अतः कर्मचारी ओमे भ्रस्टाचार चरम सिमा पर था. फिर भी लोग मुँह मांगी कीमत पर फ़ोन खरीदते थे. घर में फोन होना प्रतिष्ठा की निशानी समजी जाती थी. टेलीफोन ख़राब होने पर रिपेयर कर्मचारियों को घुस – रिश्वत देनी पडती थी. कभी कभी कर्मचारी जान बूझकर लाइन मे क्षति पहुंचाते थे. 

      सत्तर – अस्सी के दशक में वेस्टर्न रेलवे विरार स्टेशन से लेकर चर्चगेट स्टेशन तक पैसेंजर की सुविधा के लिये हर रेल्वे स्टेशन पर पीसीओ ( public call ) लगाये गये थे.

    फिर आया लोकल एक रुपये में एक मिनट का पीसीओ का जमाना. पान की दुकान से लेकर हर दुकान वाले पीसीओ इन्स्टॉल करते थे. STD अन्य राज्य में फोन करना हो तो उसके लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती थी. सन 2005 के बाद मोबाइल का चलन जोरशोर से शुरू हुआ. पहले इनकमिंग का भी पैसा लगता था. वो भी कैंसिल हो गया. फिर क्या ? हर हाथ में मोबाइल दिखने लगा जिसकी असर पीसीओ धारक को हुई. और एक के बाद एक पीसीओ बंद होते गये. 

      मिरा भाईंदर क्षेत्र की बात करु तो सन 1948 मे भाईंदर मे पहली बार टेलीफोन की लाइन डाली गयी थी. उस समय पुलिस स्टेशन , श्री इब्राहिम शेठ , श्री चंदू लाल शेठ , श्री बंकट लाल शेठ आदि के घर पहली बार टेलीफोन लाइन डाली गयी थी. फोन की लाइन देने से पहले ” पोस्ट एंड टेलीग्राम विभाग ” ने सभी ग्राहकों से 500 रुपये का बांड लिखवाकर लिया था की वे कमसे कम 12 महीने फोन का जरूर इस्तेमाल करेंगे.  

         12 जुन 1985 को मिरा भाईंदर नगर पालिका की स्थापना होने तक भाईंदर मे टेलीफोन एक्सचेंज भवन का निर्माण नहीं हुआ था. सरकार द्वारा भाईंदर पश्चिम फाटक स्थित टेलीफोन भवन के लिये विशाल जगह का आरक्षण किया गया था. मगर कुछ तत्कालीन माफिया लॉबी उसे हड़पना चाहती थी, मगर तत्कालीन लोक प्रिय हिंदी समाचार पत्र भाईंदर भूमि को पता चला तो उसने प्रमुखता से लगातार समाचार प्रकाशित किये. 

       फिर भी असर नहीं हुआ तो पत्र के प्रधान संपादक श्री पुरुषोत्तम ” लाल ” चतुर्वेदी उर्फ़ ” लाल ” साहबने एक ही न्यूज़ बारंबार प्रकाशित की, उन्होंने जिलाधिकारी से लेकर सचिवालय तक पत्र व्यवहार किया. आखिरकार सरकार को जुकना पड़ा और बादमे फाटक स्थिति विशाल टेलीफोन एक्सचेंज भवन का निर्माण हुआ. लोगों को अच्छी सुविधा मिलने लगी. जो भाईंदर भूमि के लम्बे संघर्ष का परिणाम था. 

     श्री पुरुषोत्तम लाल चतुर्वेदी के मार्गदर्शन मे और श्री सोहनलाल जैन की अध्यक्षता मे भाईंदर टेलीफोन एक्शन कमिटी की स्थापना की गई, जिसने समय समय पर पत्र व्यवहार करके भाईंदर की टेलीफोन संबंधित समस्या को टेलीफोन अधिकारीयों तक पहुंचाया. 

       सन 1948 मे जब भाईंदर मे सर्व प्रथम टेलीफोन की प्रथम घंटी बजी तब पूरे भाईंदर पूर्व पश्चिम क्षेत्र की कुल जन संख्या करीब पांच हजार की थी. कांदिवली एक्सचेंज से उसका संचालन किया जाता था. शुरू मे खम्भे डालकर उपर से लाइन खींची गई थी. उसके कई साल बाद भूमिगत केबल लाइन का विस्तार किया गया था. शुरूमे सिस्टिम यह थी की एक बार आप फोन कनेक्ट करो और कितना भी समय बातें करते रहो. पहला फोन को जब डिस्कनेक्ट करके दूसरा फोन लगाने पर दूसरा फोन की गिनती की जाती थी. 

     घर मे फोन होना प्रतिष्ठा की निशानी मानी जाती थी. बारिस मे तेज हवासे खम्भे जुकनेसे टेलीफोन की तार टूट जाती थी. सत्तर के दशक के प्रारंभ मे यदि आपको अन्य राज्य मे फोन करना होता था तो एक्सचेंज मे पहले ट्रंक कॉल बुक करना पड़ता था. दो तीन घंटे बाद जब नंबर लगता था, तो ऑपरेटर आपको लाइन पर चालू रहने सूचित करता था. फिर लाइन जोड़कर देता था. तब आप बात कर सकते थे. 

       फिर आया परिवर्तन और मोबाइल ने टेलीफोन का रुप धारण कर दिया. शुरू मे सेल मोबाइल उपग्रह के माध्यम से चलता था. जिसमे आउट गोइंग तथा इन कमिंग का भी शुल्क देना पड़ता था. शायद STD कॉल के लिये मिनट का 25 से 30 रूपया प्रति मिनट चुकाना पड़ता था. 

        पिछले कुछ वर्षों में मोबाइल तकनीक तेजी से विकसित हुई, इन बिच पेजर का जमाना आया. वो गाना आपको याद होगा, ले.. ले.. तू मेरा पेजर नंबर. 

        वायरलेस उपकरणों मे लैपटॉप, मोबाइल फोन, टैबलेट आदि वायरलेस उपकरण तकनीक का जमाना आगे बढ़ा. सन 1890 में टेस्ला ने बे तार ( वायरलेस ) संचार के लिए सैद्धांतिक नींव रखी. सन 1894 में रेडियो के जनक के रूप में जाने, जाने वाले मार्कोनी ने सन 1894 में पहली बार वायरलेस सिग्नल प्रसारित किए. मोबाइल तकनीक ने मानव समाज को बहुत बड़ा बदलाव मे लाकर रख दिया.

        सन 1980 के दशक की शुरुआत में, 1G को ” ईंट फोन ” के माध्यम से केवल-संचार के रूप में पेश किया गया था. बाद में 1991 में, 2G के विकास ने लघु संदेश सेवा ( SMS ) और मल्टीमीडिया मैसेजिंग सेवा ( MMS ) क्षमताओं को पेश किया, जिससे फोन के बीच तस्वीर संदेश भेजे और प्राप्त किए जा सके. सन 1999 में, वीडियो कॉलिंग, इंटरनेट एक्सेस का समर्थन करने के लिए तेजी से डेटा-ट्रांसमिशन गति प्रदान करने के लिए ” 3G ” की शुरुआत की गई. गेमिंग सेवाओं , एचडी मोबाइल टीवी , कॉन्फ्रेंसिंग , विडियो और जैसी अधिक मांग वाली सेवाओं का समर्थन करने के लिए 2008 में 4G जारी किया गया था. और आगे 3D टीवी, आगामी भविष्य के लिए 5G तकनीक की योजना बनाई जा रही है. मित्रों यहां तक की जापान मे तो हाल 7G पर तेजी से संशोधन आगे चल रहा है. 

      5 G नेटवर्किंग सर्विस 5G के प्रदर्शन के लक्ष्य उच्च डेटा दर, कम विलंबता, ऊर्जा बचत, कम लागत, सिस्टम की क्षमता में वृद्धि और बड़े पैमाने पर डिवाइस कनेक्टिविटी हैं.

        5G नेटवर्क का मुख्य लाभ यह है कि डेटा ट्रांसमिशन दर पिछले सेलुलर नेटवर्क की तुलना में बहुत अधिक है, जो वर्तमान वायर्ड इंटरनेट की तुलना में और पिछले 4G LTE सेलुलर नेटवर्क की तुलना में 100 गुना तेज है. 

          5G नेटवर्क गति से एक उच्च परिभाषा फिल्म डाउन लोड करने में एक सेकंड से अधिक समय नहीं लगेगा.आज आप जो स्मार्टफोन सुविधा इस्तेमाल कर रहे है वो आगे आने वाले भविष्य मे जुनवानी, पुराने बनने वाले है. मगर 5G का उपभोक्ता ओको 5G बेसबैंड का समर्थन करने और अल्ट्रा हाई फ्रिक्वेंसी बैंड का समर्थन करने की आवश्यकता पड़ेगी. इसके लिये कई कम्पनिया 5G विकसित कर रहे है. 

    ——=== शिव सर्जन ===——

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