कान्हेरी गुफाएं बोरीवली पूर्व मे संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान ( नेशनल पार्क ) के अंदर स्टेशन से करीब 7 किलो मीटर और नेशनल पार्क के मुख्य गेट से करीब 6 किलो मीटर की दुरी पर स्थित है. आजसे पचास साल पहले वहां तक पहुंचने के लिये यातायात का साधन नहीं था तब हम लोग बचपन मे पैदल चलकर जाते थे.
महाशिवरात्रि के दिन कई सालोसे यहां पर साधु संतों का विशाल मेला भरता है. इसमे लोग उत्साह से भाग लेते है. यह गुफाओ मे भगवान बौद्ध कालीन शिल्प की कलाकृति देखनेको मिलती है. कान्हेरी गुफा ओका निर्माण ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी से लेकर 11वी शताब्दी के बिच मे हुआ है. मतलब यह गुफा ओकी कलाकृतिया 2200 साल से भी ज्यादा साल पुरानी है.
कान्हेरी का संस्कृत मे अर्थ होता है, ” काला पहाड़ ” मतलब कृष्णागिरी जो पहाड़ी का भाग है. इसीके नाम से नेशनल पार्क मे बच्चों की ट्रैन वनराणी के स्टेशन का नाम कृष्णागिरी रखा गया है. कान्हेरी की गुफाएं समुद्र की सतह से 1500 फीट की ऊंचाई पर है. पहाड़ो के नयनरम्य नजारो के प्रकृतिमय सौंदर्य से भरा है. इसके रखरखाव की जिम्मे दारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग करता है.
कन्हेरी की गुफाये मौर्य और कुशना सम्राटों के शासन काल के दौरान बनाई गयी है. जो काले अखंड पहाड़ को तराश कर बनाई गईं है. इस गुफाओं का निर्माण बौद्ध के द्वारा किया गया इसलिए इन गुफ़ाओ की कलाकृति बौद्ध कला का प्रतिबिंब दर्शाती है.
कन्हेरी गुफाएं अन्य बौद्ध मंदिरों की तरह प्राचीन और प्रारंभिक मध्ययुगीन भारतीय वास्तु शैली का अद्भुत प्रतीक है. कन्हेरी की गुफाओं में एक ही पहाड़ को तराश कर लगभग 109 गुफाओं का निर्माण किया गया है. ये सभी गुफाएं बुद्ध को कई रुपों मैं दर्शाती है. बुद्ध की प्रतिमाओं में स्थानाक बुद्ध, मानुषी बुद्ध, बोधिसत्व के संग तारा आदि को प्रदर्शित किया गया है. गुफाओं की कई बुद्ध मूर्तियां खंडित हो गई हैं. शुरुआत की गुफाओं में बुद्ध की कई अलग-अलग मूर्तियाँ है.ज्यादातर मूर्तियाँ खड़ी अवस्था में हैं.आगे की गुफाएँ जो चढ़ाई करने के बाद आती है वे ज्यादातर बौद्ध भिक्षुओं और साधकों का निवास स्थान जैसा प्रतीत होता है.
कन्हेरी की गुफाएं बौद्ध धर्म की शिक्षा हीनयान तथा महायान का एक बड़ा केद्रं रहा है. जो सामान्य गुफाएं है वे हीनयान संप्रदाय की मानी जाती है तथा अलंकरण वाली गुफाएं महायान संप्रदाय की मानी जाती हैं. इसकी बाहरी दीवारों पर जो बुद्ध की मूर्तियाँ बनी हैं उनसे यह स्पष्ट है कि इसपर महायान संप्रदाय का बाद में प्रभाव पड़ा और हीनयान उपासना के कुछ काल बाद बौद्ध भिक्षुओं का संबंध इनसे टूट गया था जो गुप्तकाल आते-आते फिर से जुड़ गया. यह नया संबंध महायान उपासना को अपने साथ लिए आया जो बुद्ध और बोधिसत्वों की मूर्तियों से प्रभावित है.
कान्हेरी गुफा को 26 मई 2009 को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया था. गुफाओ तक पहुंचने के लिये पत्थर काटकर सीढ़िया बनाई गयी है तथा गुफाओ को नंबर दिये गये है. ये गुफा देशकी 15 रहस्यमयी गुफाओ मे से एक माना जाता है.
प्रत्येक गुफा में बाहर या अंदर एक पत्थर की चौखट है जो एक बिस्तर के रूप में कार्य करती है . अधिकांश गुफाएँ बौद्ध विहार की थीं जिनका मतलब रहने,अध्ययन और ध्यान करने के लिए था.
जिस समय यह क्षेत्र मौर्य और कुषाण साम्राज्यों के शासन में था, उस समय तक कन्हेरी एक विश्वविद्यालय केंद्र था.
यह गुफा देश की विशालतम गुफाओं में से एक हैं क्योंकि यहां गुफाओं की संख्या अजंता और एलोरा की गुफाओं से भी ज्यादा अधिक है. कान्हेरी गुफा में सबसे ऊंची भगवान बुद्ध की मूर्ति 25 फुट ऊंची की है. देश के सात गुहा ओके अनुबो की बात की जाए तो इसमें कन्हेरी गुफा का नाम भी अवश्य आना चाहिए.
इसकी पानी संग्रह करनेकी रीत काबिले तारीफ है. पानी संग्रह के लिये पहाड़ के उपर एक विशाल कुंड बनाया गया है. तथा हर गुफा के बाहर पत्थरो को तराश कर पानीके कुंड बनाये गये है, जिसकी सिस्टिम ऐसी बनाई गयी है की पहाड़ पर गिरने वाला पानी पत्थर की तराशी नाली से सीधा टंकी मे गिरे जो पानी पुरा साल भर चलता था. उस युग के हिसाब से वो आजका महा नगर समान था.
साठ – सत्तर के दशक मे लोग इसे पांडवो की गुफा मानकर पैसे के सिक्के पानी के कुंड मे डालते थे. हर जंगल की तरह यहां पर बंदरों का उपद्रव है. लोगों के हाथो से सामान छीन लेना आम बात है.
पुराना समय और आज के समय मे यह फरक है की तब गुफाएं वास्तविक थी, जबकि आज वहां पर पर्यटक स्थल के रुप मे विकशित किया गया है. कई गुफाओ को दुरुस्त की गयी है. वहां तक पहुचनेके के लिये आप बाइक, निजी वाहन से पहुंच सकते है. बोरीवली पूर्व स्टेशन से BEST की बस क्रमांक 188 लिमिटेड बस मिलती है जो आपको कान्हेरी गुफा तक पहुँचाती है. इसके लिये बस की टिकट उपरांत नेशनल पार्क की प्रवेश फीस 20 रुपये और कान्हेरी गुफा की प्रवेश फीस 5 रुपये चुकाने पड़ती है. सोमवार को साप्ताहिक छुट्टी की वजह गुफा बंद रहती है. यह गुफाएं सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक पर्यटकों के लिये खुली रहती है.
विशेष सूचना : कोरोना महामारी को चलतें हाल यह पर्यटक स्थल बंद रखा गया है.
——=== शिव सर्जन ===—-