हिरण ( DEER ) को कौन नहीं जानता. हमारे ऋषि मुनि उनकी कुटीर के आंगन मे उनको पालते थे. घूमती फिरती हिरण प्रांगण की शान समजी जाती थी.बड़े बड़े राजा महाराजा हिरण का शिकार करते थे. हिरण के चमड़े का उपयोग वस्त्र के रूपमें किया जाता था.
हिरण को मृग , कुरंग , हरिन , सारंग , हरिण आदि अनेक नामोंसे पहचाना जाता है. हिरण शांतिप्रिय , दयालु और खूब सूरत सुंदर प्राणी है. देखते ही लोग आकर्षित हो जाते है. हिरण भागने मे उस्ताद होती है.
आज मुजे हिरण की नैसर्गिक कस्तूरी के बारेमें बात करनी है जिसे मृग कस्तूरी भी कहते है. हिरण कस्तूरी की सुगंधित खुशबू मनभावन होती है. अंतरराष्ट्रीय बाजार मे इसकी कीमत करीब 50 हजार डॉलर प्रति सौ ग्राम आंकी जाती है. यह लगभग ढाई करोड़ रुपए प्रति किलो तक के भाव से बिकती है. हिरण की काला बाजारी करनेवाले को वन्य जीव अधिनियम 1972 के तहत गिरफ्तार कर के कार्रवाई की जाती है.
हिरण कस्तूरी एक प्रकार के गांठ के रूप में होती है. कस्तूरी केवल पुरुष जाति के हिरन में ही बनती है जो कि वो अफलातून खुशबू देती है.
उत्तराखंड राज्य में पाए जाने वाले कस्तूरी मृग प्रकृति के सुंदरतम जीव हैं . यह ढाई हजार मीटर उंचे हिम शिखरों में पाया जाता है . इसका वैज्ञानिक नाम मॉस्कस क्राइसोगास्ट है. यह ” हिमालयन मस्क डिअर ” के नाम से भी जाना जाता है. कस्तूरी मृग अपनी सुन्दरता के उपरांत अपनी नाभि में रहने वाली कस्तूरी के लिए अधिक प्रसिद्ध है.
कस्तूरी केवल नर मृग में पायी जाती है जो इस के उदर के निचले भाग में जननांग के समीप एक ग्रंथि से स्रावित होती है. कस्तूरी मृग छोटा और शर्मीला जानवर होता है . इस का वजन लगभग 13 किलो तक होता है, और रंग भूरा और उस पर काले पीले धब्बे होते हैं.
एक मृग में लगभग 30 से 45 ग्राम तक कस्तूरी पाई जाती है . नर की बिना बालों वाली पूंछ होती है. इसके सींग नहीं होते. कस्तूरी मृग की घ्राण शक्ति बड़ी तेज होती है. कस्तूरी का उपयोग औषधि के रूप में दमा, मिर्गी, निमोनिया आदि की दवाऍं बनाने में होता है. कस्तूरी से बनने वाला इत्र अपनी खुशबू के लिए प्रसिद्ध है. कस्तूरी मृग तेज गति से दौड़ ने वाला जानवर है.
कस्तूरी प्राप्त करने के लिये हिरण की निर्मम हत्या कर दी जाती है. आजकल इत्रों में उपयोग की जाने वाली लगभग सभी कस्तूरी कृत्रिम होती है, जिसे ” सफेद कस्तूरी ” कहा जाता है. सलमान खान द्वारा ” चिंकारा ” नामक हिरण का शिकार करने के जुर्म मे उस पर मुक़दमा दाखिल हुआ था.
कस्तूरी असली है या नकली ये जानने के लिये जलते कोयले पर कस्तूरी का दाना डालें तो अगर कस्तूरी नकली होगी तो वह जल कर धुंआ बन कर राख हो जायेगी, और असली होगी तो काफ़ी समय बुलबुले पैदा करने के बाद जलती रहेगी.
कस्तूरी छूने में चिकनी होती है, कस्तूरी सफ़ेद कपडे में रखने के बाद कपड़ा पीला हो जाता है.
एक सूती धागे को हींग के पानी में भिगोकर गीला कर लें और सुई में डालकर कस्तूरी के अन्दर से निकालें, अगर असली कस्तूरी होगी तो हींग अपनी खुशबू को छोड कर धागे में कस्तूरी की खुशबू भर देंगी. हींग की महक को मारने वाला और कोई पदार्थ नहीं है.
कस्तूरी का दाना लेकर एक कांच के गिलास में डाल दें,दाना सीधा जाकर गिलास के तल में बैठ जायेगा,वह न तो गलेगा और न ही ढीला होगा.
एक पदार्थ होता है जिसे ट्रिनीट्रोब्यूटिल टोलबल कहते है इसकी महक भी कस्तूरी की तरह से होती है और काफ़ी समय तक टिकी रहती है.
हिरण संबंधित कुछ विशेषता :
*** हिरण लगभग संपूर्ण विश्व में पाए जाने वाला प्राणी है और यह एक सामाजिक प्राणी है जो की परिवार बनाकर रहते हैं.
***नर हिरण मादा हिरण को अपने सींघो के द्वारा आकर्षित करता है
*** आपको जानकर हैरानी होगी जन्म के कुछ समय बाद ही हिरण का बच्चा उठकर चलने लग जाता है.
*** हिरण में कूदने की गजब की कला होती है और यह एक कूद में 10 फीट की दूरी तय कर सकते है.
*** पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी स्तनधारी जीवो में हिरण की आंखें सबसे बड़ी होती हैं और बेहद खूबसूरत होती है.
*** हिरण भोजन के रूप में घास, हरी पत्तियां इत्यादि खाते हैं और यह संपूर्ण रूप से शाकाहारी जीव होता है.
*** हिरण में कूदने की गजब की कला होती है और यह एक कूद में 10 फीट की दूरी तय कर सकते है.
*** हिरण के सींग बेहद मजबूत होते हैं जिसके वार से यह शेर जैसे जीव की हड्डी को भी तोड़ सकते हैं.
*** हिरण की आंखे 300 डिग्री तक चारो तरफ आगे पीछे देख सकती है.
*** मादा हिरण बसंत ऋतु में बच्चों को जन्म देती हैं और यह एक समय में एक से दो बच्चों को जन्म दे सकती है.
*** एक स्वस्थ हिरण का जीवन काल 18 से 20 साल का होता है.
*** क्या आप जानते हैं हिरण का बच्चा 1 साल तक अपनी मां की छाया में ही रहता है अर्थात उसकी मा ही उसकी देखभाल करती है.
*** हिरण की सुनने की शक्ति भी गजब की होती है और यह कम से कम आहट को भी सुन सकते हैं जो इंसानो के द्वारा सुनना असम्भव है.
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