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ता : 3 अप्रेल सन 1984 का सुहाना दिन था. उस दिन विंग कमांडर श्री राकेश शर्मा ने 3 सोयुज टी – 11 से अवकाश मे उड़ान भरी तो तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने न्यूज़ कॉनफेरेन्स के दौरान श्री राकेश जी को पूछा , कि उपर अवकाश मे से भारत कैसा दिख रहा है तो उन्होंने उत्तर दीया कि, ” सारे जहांसे अच्छा ” इस घटना ने हम सब का सिर गौरव से ऊंचा कर दीया.
अंतरिक्ष अवकाश यान में यात्रा करने वाले श्री राकेश शर्मा एकमात्र भारतीय नागरिक है . हालांकि हमारे भारतीय पृष्ठभूमि वाले अन्य अंतरिक्ष यात्री भी रहे हैं जो भारतीय नागरिक नहीं थे. श्री राकेश शर्मा जी अंतरिक्ष में प्रवेश करने वाले पहले भारतीय नागरिक तथा 138 वे मानव बने. जब उन्होंने 3 अप्रैल सन 1984 को सोवियत से अवकाश मे ऊंचे उड़ान भरी थी.
सोवियत रॉकेट सोयुज टी – 11 को कज़ाख सोवियत समाजवादी गणराज्य मे बैकोनूर कॉस्मोड्रोम से अवकाश मे लॉन्च किया गया था. राकेश शर्मा ने साल्यूट 7 कक्षीय स्टेशन पर 7 दिन 21 घंटे और 40 मिनट बिताये थे.
श्री राकेश का जन्म ता : 13 जनवरी 1949 के दिन पटियाला, पंजाब मे जन्म हुआ था. बादमे सेंट जॉर्जस ग्रामर स्कूल हैदराबाद मे पढाई करने के बाद आगे की पढाई उन्होंने निज़ाम कॉलेज हैदराबाद से करके स्नातक की डिग्री हासिल की थी.
जुलाई 1966 में एक वायु सेना के अधिकारी के रूप में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में भर्ती हुये और 1970 में पायलट के रूप में भारतीय वायु सेना में सामिल हुये.राकेश शर्मा 21 साल की उम्र में भारतीय वायु सेना से जुड़े थे और वहां वे सुपरसोनिक जेट लड़ाकू विमान उड़ाया करते थे. पाकिस्तान के साथ 1971 की लड़ाई में उन्होंने 21 बार उड़ान भरी थी. उस वक्त वो 23 साल के भी नहीं हुए थे. 25 साल की उम्र में वे वायु सेना के सबसे बेहतरीन पायलट थे. उन्होंने अंतरिक्ष में 35 बार चहल कदमी की थी.
वे अंतरिक्ष मे जाने वाले भारत के पहले व्यक्ति बने थे. कई स्तरों से प्रगति करके आगे बढ़कर सन 1984 में उन्हें स्क्वाड्रन लीडर के पद पर पदोन्नत किया गया था. उन्हें एक कॉस्मोनॉट बनने और भारतीय वायु सेना और सोवियत इंटरकोसमोस अंतरिक्ष कार्यक्रम के बीच एक संयुक्त कार्यक्रम के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष में जाने के लिए चुना गया था.
सन 1984 में राकेश शर्मा अंतरिक्ष में प्रवेश करने वाला पहले भारतीय नागरिक बन गया जब उन्होंने 3 अप्रैल 1984 को कज़ाख सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक में बैकोनूर कोस्मोड्रोम से लॉन्च किए गए सोवियत रॉकेट सोयुज टी -11 में उड़ान भरी थी. सोयूज़ टी -11 अंतरिक्ष यान में राकेश के सहित तीन लोग थे. जिसमें जहाज के कमांडर, मलयाशेव और फ्लाइट इंजीनियर गेनेडी स्ट्रेकलोव थे.
श्री राकेश शर्मा को अंतरिक्ष से लौटने पर सोवियत संघ ने उन्हें ” हीरो ऑफ़ सोवियत यूनियन ” राष्ट्रीय पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था. वह एकमात्र भारतीय हैं जिन्हें यह सम्मान दिया गया है . भारत ने अपने सर्वोच्च जीवन के वीरता पुरस्कार, अशोक चक्र से सम्मानित गया है . साथ ही उनके मिशन के दो सोवियत संघ के सदस्य मलयशेव और स्ट्रेकलोव को भी सम्मानित किया गया था.
श्री राकेश शर्मा ने मधु नामक लड़की से शादी की थी. उनका बेटा कपिल एक फ़िल्म निर्देशक है. उनकी बेटी, कृतिका एक मीडिया कलाकार है. श्री राकेश शर्मा एक विंग कमांडर के रूप में सेवानिवृत्त होनेके बाद 1987 में HAL नासिक डिवीजन में मुख्य परीक्षण पायलट के रूप में सेवा करते हुए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में शामिल हो गये. श्री राकेश शर्मा सन 2001 में उड़ान से सेवानिवृत्त हो गये थे.
उनको बचपन से ही पायलट बनने का शौख था मगर वे अवकाश यान यात्री बनेगा वो सपने मे भी कभी सोचा नहीं था. सन 1982 मे उन्होंने और उनकी पत्नी मधु ने रसियन भाषा को सीख ली थी. अंतरिक्ष यान मे रसियन साथी ओको उन्होंने भारतीय भोजन सूजी का हलवा , आलू छोले और भाजी पुलाव खिलाया था जो उनको डिफेन्स फुड रिसर्च लेबाॅरेटरी ने दीया था.
अंतरिक्ष मे बीमारी से बचनेके लिये वे योगा करते थे. आज तो हमारा देश स्वावलंबी हो गया है. खुद चंद्रमा पर देशी यान भेज रहा है. मगर श्री राकेश शर्मा जी की उपलब्धि को भी हम लोग भुला नहीं सकते. क्योंकि वे भारत के पहले अवकाश यान यात्री बने थे.
मित्रों रसिया हमारा पुराना जिगरी दोस्त है, मगर उनको हम भूल गये है. हमें तो कोहनी मे गुड़ लगाने वाले अमेरिका प्यारा लगता है, जो कोई भी वक्त बदल सकता है. फिलहाल वे तमिलनाडु के नीलगिरि जिले के हिल स्टेशन कुन्नूर मे रहते है.
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