एक रुपये का नोट और सिक्का|

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आज मुजे एक रुपये की नोट और सिक्के के बारेमें से बात करनी है. एक रुपये के नोट की विशेषता ये है की इस नोट को भारतीय रिज़र्व बैंक जारी नहीं करता. इसको खुद भारत सरकार छापकर जारी करता है. इस नोट पर देश के वित्त सचिव का हस्ताक्षर होता है. जबकि अन्य नोटों मे भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर का हस्ताक्षर होता है. व भारतीय रिज़र्व बैंक उसे मुंद्रण करके वितरण का कारोबार संभालती है. 

        नोट के रूपमें एक रुपये का नोट सबसे छोटी मुद्रा है. 

जानकारी के लिये आपको बता दु की प्रथम विश्व युद्ध ( 1914 – 1918 ) के समय एक रुपये का सिक्का चांदी का होता था. मगर युद्ध के चलतें सरकार , चांदी का सिक्का ढालने में असमर्थ हो गई और इस तरह ता : 30 नवंबर सन 1917 में पहली बार एक रुपये का नोट जारी किया गया. इस नोट पर ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम की तस्वीर छपी थी. जो नोट इंग्लैंड से छपकर आयी थी. 

      रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया मुद्रा जारी करता है, और उनका विनिमय करता है, अथवा परिचालन के योग्य नहीं रहने पर मुद्रा और सिक्कों को नष्ट करता है. इसका एक मात्र उदेश्य आम लोगोंको अच्छी गुणवत्ता वाले करेंसी नोटों और सिक्कों की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध करवाना होता है. 

    अत्रे उल्लेखनीय है की भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के तहत ता : 1 अप्रैल, 1935 को हुई थी. रिजर्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय प्रारंभ में कोलकाता में स्थपित किया गया था, जिसे 1937 में स्थायी रूप से मुंबई में स्थानांतरित किया गया था . 

        भारत सरकार एक रुपये के नोट को नए सुरक्षा फीचर के साथ जल्द बाजार में पेश करने वाली है. जिसके लिये ता : 7 फरवरी की एक अधिसूचना में कहा गया था कि हमारा वित्त मंत्रालय इसकी छपाई करने की तैयारी में लगी है . इसमें कई वाटरमार्क यानी विशेष पहचान चिन्ह होंगे. 

        नयी नोट पर सबसे ऊपर में हिन्दीं में भारत सरकार लिखा होगा. तथा इसके ठीक नीचे अंग्रेजी में गवर्मेंट ऑफ इंडिया लिखा होगा. इस पर भारत सरकार के वित्त सचिव का हिन्दीं और अंग्रेजी में हस्ताक्षर होगा. इस नोट पर एक रुपये के सिक्के का प्रतीक चिन्ह होगा जिसपर सत्यमेव जयते लिखा होगा. इसके दाईं तरफ नीचे की ओर काले रंग से नोट का नंबर लिखा होगा जो बांए से दाएं बढ़ते क्रम में होंगे. इसमें पहले तीन नंबर और शब्द आकार में एक समान होंगे. इस नोट में ऊपर में भारत सरकार और गवर्मेंट ऑफ इंडिया के बाद वर्ष 2020 लिखा होगा. इस नोट पर अन्न का प्रतीक बना होगा जो कृषि प्रधान देश का संकेत होगा. इसमें 15 भाषाओं में रुपये की कीमत लिखी होगी. तथा तेल प्लेटफॉर्म सागर रत्न का प्रतीक भी बना होगा . 

           इस नोट की लंबाई 9.7 सेंटीमीटर और चौड़ाई 6.3 सेंटीमीटर होगी. इसमें कई वाटरमार्क होंगे जिसमें सत्यमेव जयते के बिना अशोक स्तंभ लिखा होगा. बीच में अंकों में एक लिखा होगा जिसे गौर करके ही पहचाना जा सकता है. इसके बाद भारत भी लिखा होगा जो आसानी से नहीं दिखाई देगा. एक रुपये के नोट को छापने की लागत 1.14 रुपये बैठती है. 

    कानूनी आधार पर एक रुपये का नोट एक मात्र वास्तविक मुद्रा यानी नोट (करेंसी नोट) है. अन्य सभी तरह के नोट धारीय नोट (प्रॉमिसरी नोट) होते हैं जिस पर धारक को उतनी राशि अदा करने का वचन दिया गया होता है . 

        रुपया शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम शेर शाह सूरी ने भारत मे अपने शासन सन 1540 – 1545 के दौरान किया था. शेर शाह सूरी ने अपने शासन काल में जो रुपया चलाया वह एक चाँदी का सिक्का था, जिसका भार 11.534 ग्राम था. तब तांबे का सिक्का जिसे दाम तथा सोने का सिक्का जिसे मोहर कहा जाता था, 

          शेर शाह सूरी के शासनकाल के दौरान आरम्भ किया गया रूपया आज तक प्रचलन में है. भारत में ब्रिटिश राज के दौरान भी यह प्रचलन में रहा, इस दौरान इसका भार 11.66 ग्राम था और इसके भार का 91.7 प्रतिशत तक शुद्ध चाँदी होती थी.  

      पहले रुपया (11.66 ग्राम) 16 आने या 64 पैसे या 192 पाई में बाँटा जाता था.तब चार पुराने पैसे का एक आना होता था. रुपये का दशमलवीकरण सन 1957 मे हुआ था. तब एक रुपये को 100 पैसे मे बाटा गया था. तब भारत में पैसे को नया पैसा नाम से जाना जाता था. भारत में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मुद्रा जारी की जाती है, पाकिस्तान में यह स्टेट बैंक आफ़ पाकिस्तान के द्वारा नियंत्रित होता है. 

       नकली – जाली नोटों का मुद्रण और परिचालन भारतीय दण्ड संहिता की धारा 489 अ के अंतर्गत अपराध है तथा किसी विधिक न्यायालय द्वारा आर्थिक दण्ड अथवा कारा वास अथवा दोनों के रूप में दण्डनीय अपराध माना जाता है. गुन्हा साबित होते ही अपराधी को आजीवन कारावास अथवा 10 साल का कारावास व द्रव्य दंड हो सकता है. ये बिनजमीन और सत्र न्यायालय मे चलने वाला अपराध है. 

        एक रुपये का प्रथम नोट मुद्रन ता : 30 नवंबर 1917 के दिन होनेके बाद सन 1926 मे नोट की छपाई बंद कर दी थी. बादमे सन 1940 में फिर से शुरू किया गया था. इसके बाद सन 1994 में एक रुपये के नोट की छपाई फिर से बंद कर दी गई थी. फिर से सन 2015 में दोबारा इसकी शुरुआत की गई थी.  

      पुरानी नोटों को संग्रह करने वालों मे पुरानी नोट या सिक्के की लाखों मे कीमत आंकी जाती है. उसकी एक अलग बाजार चलती है. कभी आप लोगोंको मुंबई फोर्ट स्थित श्री छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्राहलय ( म्यूज़ियम ) जानेका अवसर मिले तो पुराने सिक्कों की गैलेरी की भी अवश्य मुलाक़ात लीजियेगा. 

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