मकड़ी हमें गिरकर संभलना, उठना सिखाती है. मकड़ी एक प्रकारका कीड़ा है, मकड़ी पुरानी हवेली , खंडहर और जहां साफ सफाई नियमित नहीं होती हो ऐसे घरोंमे अक्षर पाई जाती है. दुनिया भर मे उसकी करीब 40000 प्रजातियों की पहचान हो चुकी है.
मकड़ी के पेट मे एक थैली होती है, जिसके अंदर से एक चिपचिपा द्रव्य बाहर निकलता है, उस द्रव्य से वो जाल बुनती है. वो जाल के बिच अपना डेरा लगाकर बैठती है. मकड़ी मांसाहारी कीड़ा है. जो मच्छर, छोटे कीड़े मकोड़ो को अपनी जाल मे फसाकर खाता है.
मकड़ी का शरीर दो भाग मे होता है. एक भागमे सिर और छाती होती है, तथा दूसरे भागमे पेट होता है. खास करके इसके आठ पैर और आठ आंखे होती है. मगर कुछ मकड़ी ओको सिर्फ छह तो कुछ को चार और किसीको केवल दो ही आंखे होती है. चाइनीस लोगोंका यह प्रिय भोजन माना जाता है.
जंगलों मे पाये जाने वाली कुछ मकडिया जहरीली होती है. जिसके काटनेपर मनुष्य की मौत हो जाती है. ये कही भी घर के कोनो मे जाल बना लेती है, और उसीमे अंडे देती है. साधारण नर से मादा बहुत बड़ी होती है. ये संभीग के समय मादा कभी कभी नर को खा जाती है. मकड़ी ओकी कुछ प्रजातियां इतनी बड़ी होती हैं कि छोटे मोटे पक्षियों तक का शिकार कर लेती हैं.
मकड़ीयाँ बंदर की तरह खास कर उछलकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाती हैं. इनकी कुछ प्रसिद्ध जातियों के नाम इस प्रकार है जंगली मकड़ी, जल मकड़ी, राज मकड़ी, कोष्टी मकड़ी, तथा जहरी मकड़ी आदि होता है. मकड़ी के विष के स्पर्श से शरीर में होनेवाले दाने, जिनमें जलन होती है और जिनमें से पानी निकलता है.
मकड़ी अपने शिकार को फंसाने के लिए जाल बुनती है. मगर खुद उसमे नहीं फसती है. वो आसानीसे एक जगह से दूसरी जगह घूम लेती है. मकड़ी का पूरा जाल चिपकने वाला नहीं होता है. वह इसका कुछ ही हिस्सा चिपचिपा बुनती है. वहीं, इसके अलावा वैसा हिस्सा जहां मकड़ी खुद आराम से रहती है, वह बिना चिपचिपे पदार्थ के बनाया जाता है. अतः वह आसानी से इसमें घूम लेती है. वैसे अपने ही जाल में फंसने से बचने के लिए मकड़ी एक और तरकीब निकालती है. वह रोजाना अपने पैर काफी अच्छे से साफ करती है ताकि इन पर लगी धूल और दूसरे कण निकल जाये !..
कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि मकड़ी का पैर तैलीय होता है इसलिए वह जाल में नहीं फंसती और इसमें घूमती रहती है. लेकिन सच यह है कि मकड़ियों के पास ऑयल ग्लैंड्स (ग्रंथियां) नहीं होते हैं. वहीं कुछ वैज्ञानिक इसकी वजह मकड़ी की टांगों पर मौजूद बालों को मानते हैं जिन पर जाले की चिप चिपाहट का कोई असर नहीं होता है.
आजकी पोस्ट एक मकड़ी की सुंदर कहानी के साथ पूरी करुंगा…..
बरसों पहलेकी की एक सुंदर कहानी है. एक राजा लड़ाई मे हार जाता है. राजपाट सब चला जाता है. मगर वो बचकर भागनेमे सफल होता है. भागते भागते वो एक जंगल मे पहुँचता है. उसने एक गुफा देखी और उसमे छुप गया. वो सोच रहा था कि दुश्मन राजा के सिपाही कुछ देर मे आ जायेंगे और उसे मार देंगे.
वो मौत का इन्तेजार कर रहा था. इतने मे उसने गुफा के मुख्य प्रवेश के पास एक मकड़ी को जाल बनाते देखा. मकड़ी बार बार गीर रही थी फिरभी अगली ही क्षण वो जाल बुनने लग जाती है. बार बार कोशिश करने के बाद आखिर कार वो अपनी जाल बना देती है.
थोड़ी देरमे राजाके सिपाही वहां आ पहुंचते है, उन्होंने प्रवेश द्वार पर मकड़ी की जाल को देखा और सोचा अगर राजा उसमे छुपा होता तो जाल टूट जाती थी. मतलब यहां कोई अंदर नहीं गया होगा. कुछ देर बाद सिपाही वापस लौट जाते है.
राजा अंदर बैठे सोच रहा था, एक मकड़ी जैसा जीव बार बार गिरने के बाद भी कोशिश करते रहा और आखिर कार उसने जाल बना दी, फिर मे तो मनुष्य हूं मे कैसे हार कबूल कर दु ? वो उठा वहासे निकला और फिरसे अपने सैन्य की तैयारी की और वो राजा के उपर टूट पड़ा और बाजी जीत ली. फिरसे अपना राज हासिल कर लिया.
इसीलिए तो कहा जाता है कि , ” कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती ” आपको यह कहानी अवश्य पसंद आयी होंगी.
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