हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा | Tiranga

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आज मुजे हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के बारेमे कुछ जानकारी शेयर करनी है. इस ध्वज की अभिकल्पना पिंगली वैंकैया ने की थी. इसे ता : 15 अगस्त 1947 के दिन अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व 22 जुलाई, 1947 के दिन आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक में अपनाया गया था. 

    भारतीय ध्वज संहिता ( भारतीय फ्लैग कोड ) को तीन भागों में बांटा गया है. 

(1) राष्ट्रीय ध्वज के आकार और निर्माण के बारे में नियमों का उल्लेख. 

(2) आम लोग, निजी अंग, शैक्षिक संस्थान द्वारा झंडा फहराने और रखरखाव आदि से संबंधित नियमों का उल्लेख. (3) केंद्र और राज्य सरकार और उनके संगठन और एजेंसियों द्वारा झंडा फहराने और इसके रखरखाव से जुड़े नियमों का उल्लेख. आदि प्रमुख है. 

          राष्ट्रीय झंडा निर्दिष्टीकरण के अनुसार झंडा खादी में ही बनना चाहिए. यह एक विशेष प्रकार से हाथ से काते गए कपड़े से बनता है जो महात्मा गांधी द्वारा लोकप्रिय बनाया गया था. भारतीय ध्वज संहिता के द्वारा इसके प्रदर्शन और प्रयोग पर विशेष नियंत्रण लगाये गये है. 

   राष्ट्रीय ध्वज के अनादर करने पर विशेष सजा का प्रावधान किया गया है. ध्वज का किसी तरह से अनादर करने की स्थिति में प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नैशनल ऑनर ऐक्ट 1971 के तहत राष्ट्रीय झंडे और संविधान का अपमान करना दंडनीय अपराध है.  

            ऐसा करने वाले को 3 साल तक की जेल या फिर जुर्माना या तो फिर दोनों की सजा हो सकती है. इसी तरह, राष्ट्रगान को जानबूझकर रोकने या फिर राष्ट्रगान गाने के लिए जमा हुए समूह के लिए बाधा खड़ी करने पर अधिकतम 3 साल की सजा दी जा सकती है. इस सजा के साथ जुर्माना भरने का भी आदेश दिया जा सकता है. 

           तिरंगा राष्ट्रीय झंडा केसरिया , सफेद , और हरा तीन रंगों मे बटा है. सफेद पट्टी के केंद्र में 24 तीलियां के साथ एक गहरे नीले रंग का पहिया है. केसरिया रंग शौर्य का प्रतिक है, जो साहस को दर्शाता है. तो सफेद रंग शांति का प्रतिक है. जबकि हरा रंग हरीयाली कृषि का प्रतिक है. जो हमारा देश कृषिप्रधान होनेका गवाह है. बीचमे 24 तीलियां है जो 24 घंटे का समय दर्शाता है जो हमें दिन भर सावधान रहेनेको सिखाता है. तिरंगा झंडा की लंबाई तथा चौड़ाई 3:2 के अनुपात मे बनाया जाता है. 

           भारतीय नागरिक अब रात में भी राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहरा सकते हैं. इसके लिए शर्त यह होती है कि झंडे का पोल वास्तव में लंबा हो और झंडा खुद भी चमकता हो. गृह मंत्रालय ने उद्योगपति सांसद नवीन जिंदल द्वारा इस संबंध में रखे गए प्रस्ताव के बाद यह फैसला किया था. इससे पहले जिंदल ने हर नागरिक के मूलभूत अधिकार के तौर पर तिरंगा फहराने के लिहाज से अदालती लड़ाई जीती थी.

         जिंदल ने जून 2009 में मंत्रालय को दिए गए प्रस्ताव में बड़े आकार के राष्ट्रीय ध्वज को स्मारकों के पोलों पर रात में भी फहराए जाने की अनुमति मांगी थी. जिंदल ने कहा था कि भारत की ध्वज संहिता के आधार पर राष्ट्रीय ध्वज जहां संभव हो सकता है वहां सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच फहराया जाना चाहिए. 

        भारत की आजादी और इसकी अखंडता को बरकरार रखने के लिए बहुत से लोगों ने बलिदान देकर इसे तिरंगे का सम्मान बरकरार रखा है. 15 अगस्त के दिन हमें आजादी मिली थी और उसी दिन ब्रिटिश झंडे को उतारकर भारतीय झंडे को ऊपर चढ़ाया गया और फहराया गया था. झंडे को फहराने की प्रक्रिया को ध्वजारोहण (Flag Hoisting) कहते हैं. इसलिए 15 अगस्त को ध्वजारोहण किया जाता है, वहीं 26 जनवरी को हमारा संविधान लागू हुआ था, इसलिए उस दिन पहले से ऊपर बंधे झंडे को केवल फहराया (Flag Unfurling) जाता है.   

    हर स्वतंत्र देश का अपना एक राष्ट्र ध्वज होता है. भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की अभिकल्पना श्री पिंगली वैंकैयानन्द जी ने की थी और इसे इसके वर्तमान स्वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था. 

      यह 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व की गई थी. इसे 15 अगस्त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था. भारत में “तिरंगे” का अर्थ भारतीय राष्ट्रीय ध्वज किया जाता है.   

        ता : 15 अगस्त को हमारा देश स्वतंत्र हुआ.उस दिन देश का प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं. वहीं 26 जनवरी के दिन राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्रधानमंत्री देश के राजनीतिक प्रमुख होता हैं, जबकि राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख होता हैं. 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ था, इसलिए गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं . इससे पहले आजाद भारत का न तो कोई संविधान था और न ही राष्ट्रपति था. 

        ” स्वतंत्रता दिवस ” समारोह का आयोजन लाल किले पर ही किया जाता है. दर असल, 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ, भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने दिल्ली के लाल किला स्थिति लाहौरी गेट के ऊपर से ही भारतीय ध्वज फहराया था. वहीं 26 जनवरी 1950 को आजाद भारत का संविधान लागू होने पर पहले गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन राजपथ पर किया गया था. बाद के कुछ वर्ष में गणतंत्र दिवस का आयोजन कुछ अलग जगहों पर भी किया गया था.

      ता : 15 अगस्त पर प्रधानमंत्री लाल किले से देश को संबोधित करते हैं, जबकि इसकी पूर्व संध्या पर मतलब 14 अगस्त की शाम को राष्ट्रपति राष्ट्र को संबोधित करते हैं. गणतंत्र दिवस के मौके पर किसी का संबोधन नहीं होता. 

    ता : 15 अगस्त और 26 जनवरी का दिन देश के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है दोनों दिन धूमधाम से देश की राजधानी दिल्ली में सरकारी स्तर पर सार्वजनिक समारोह आयोजित किए जाते हैं. देश के अन्य हिस्सों और सभी राज्यों में भी इस मौके पर कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं. बावजूद इन कार्यक्रमों में कुछ आधारभूत अंतर होता है. 15 अगस्त के दिन परेड का आयोजन नहीं होता है, जबकि 26 जनवरी पर सैनिकों, अर्धसैनिक बलों आदि की काफी लंबी परेड होती है . इसमें दिलकश झाकियां और रंगारंग कार्यक्रम को भी शामिल किया जाता है. गणतंत्र दिवस समारोह के जरिए देश जल, थल और आकाश में अपनी सैन्य ताकत और सांस्कृति की झलग का प्रदर्शन करता है.

         15 अगस्त के कार्यक्रम में बाहर से किसी भी मुख्य अतिथि को बुलाने की परंपरा नहीं है, जबकि 26 जनवरी समारोह में किसी न किसी राष्ट्राध्यक्ष को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया जाता है. 

हमारा राष्ट्रीय ध्वज गीत : 

 ” झंडा ऊंचा रहे हमारा “…. हमारा राष्ट्रीय गीत है. इस गीत की रचना श्री श्यामलाल गुप्त ” पार्षद ” ने की थी जो कानपुर मे नरवल के रहनेवाले थे. इस गीत को 1938 मे कांग्रेस अधिवेशन मे नेताजी सुभाषचंद्र बोस की उपस्थिति मे सर्व सम्मति से स्वीकार किया गया था. वहां मौजूद करीब पांच हजार लोगोने इस गीत को सामूहिक रूपसे गाया था. 

प्रस्तुत है आप लोगोंकी सेवामे शौर्य देश भक्ति गीत…. 

गीतकार : श्री श्यामलाल गुप्त ” पार्षद “

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा. 

सदा शक्ति बरसाने वाला,
प्रेम सुधा सरसाने वाला,

वीरों को हरषाने वाला,
मातृभूमि का तन-मन सारा।। झंडा…।

स्वतंत्रता के भीषण रण में,
रखकर बढ़े जोश क्षण-क्षण में,

कांपे शत्रु देखकर मन में,
मिट जाए भय संकट सारा।। झंडा…।

इस झंडे के नीचे निर्भय,
लें स्वराज्य यह अविचल निश्चय,

बोलें भारत माता की जय,
स्वतंत्रता हो ध्येय हमारा।। झंडा…।

आओ! प्यारे वीरो, आओ।
देश-धर्म पर बलि-बलि जाओ,

एक साथ सब मिलकर गाओ,
प्यारा भारत देश हमारा।। झंडा…।

इसकी शान न जाने पाए,
चाहे जान भले ही जाए,

विश्व-विजय करके दिखलाएं,
तब होवे प्रण पूर्ण हमारा।। झंडा…।

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा।

रचनाकाल : 1924  

—–====शिवसर्जन ====——–

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