रंगबेरंगी फुलोके इर्द गिर्द गुमती फिरती तितली को जवां दिलोकी धड़कन के साथ जोड़ा जाता है. वैसे तितली हर उम्र के लोगोंके लिये आकर्षक होती है. दिखने मे सुंदर होती है, ये एक फूल से दूसरे फूल के उपर उड़कर नज़ारे को चार चांद लगा देती है. तितली किट वर्ग मे आती है.
इसके सिर पर एक जोड़ी संयुक्त आँख होती हैं, तथा मुँह में घड़ी के स्प्रिंग की तरह ” प्रोवोसिस ” नामक खोखली लम्बी सूँड़नुमा जीभ होती है , जिससे यह फूलों का मधु रस चूसती है. ये एन्टिना की मदद से किसी वस्तु एवं उसकी गंध का पता लगा लेती है.
आपको जानकर हैरानी होंगी की विश्व की सबसे बड़ी तितलियों की प्रजाति का नाम ” क्वीन अलेक्जेंड्रा ” है. बताया जाता है की अब ये प्रजातियाँ लुप्त होने के कगार पर हैं. इनमें मादा तितलियों के पंख का फैलाव करीब एक फुट के आसपास होता है . जिसका वजन करीब 25 ग्राम होता है. कुछ तितलियों की प्रजातियाँ ऐसी होती हैं जिनके शरीर से खुशबू आती है.
तितली मे नर तथा मादा अलग अलग होती है. मादा तितली अपने अण्डे पत्ती की निचली सतह पर देती है. बाद अंडे से कुछ दिनों बाद एक छोटा सा कीट बाहर निकलता है. जिसे कैटरपिलर लार्वा कहा जाता है. यह पौधे की पत्तियों को खाकर बड़ा होता है , और फिर इसके चारों ओर कड़ा खोल बन जाता है. अब इसे प्यूपा कहा जाता है. 15 से 60 दिनके बाद प्यूपा को तोड़कर उसमें से एक सुन्दर छोटी सी नन्ही सी तितली बाहर निकलती है.
कहा जाता है की तितली का दिमाग़ बहुत तेज़ होता है. सूंघने, देखने स्वाद चखने व उड़ने के अलावा जगह को पहचानने की इनमें बड़ी क्षमता होती है. वयस्क होने पर ये आमतौर पर ये उस पौधे या पेड़ के तने पर वापस आती हैं, जहाँ इन्होंने अपना प्रारंभिक समय बिताया होता है.
तितलियों को आमतौर पर सर्दियाँ नापसंद होती हैं. इसी कारण ठंड पड़ने पर तितलियाँ कम ठंडे राज्यों की ओर चली जाती हैं. तितलियों की उम्र बहुत छोटी होती है.इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि हर वर्ष प्रवास करने वाला झुँड नया होता है. उनका जीवन फटाफट पुरा होता है.
तितली का जीवनकाल बहुत छोटा होता है. ये ठोस भोजन नहीं खातीं, हालाँकि उनमे कुछ तितलियाँ फूलों का रस पीती हैं. दुनिया की सबसे तेज़ उड़ने वाली तितली मोनार्च माना जाता है. यह एक घंटे में 17 मील की दूरी तय कर लेती है. कोस्टा रीका में तितलियों की करीब 1300 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं.
कहा जाता है की तितली प्रति दिन आठ से दस किलोमीटर की दुरी तक चक्कर लगा सकती है. वैसे तितलियाँ ज्यादातर दिन में ही सक्रिय होती हैं . इनका दिमाग इतना संवेदनशील होता है कि अगर कोई इनके पास से गुजर रहा हो तो इनको झट से पता चल जाता है. ये ज्यादातर फूलों पर ही सोती हैं. आराम करते वक्त ये पंख चिपकाकर रखती हैं.
अंटार्टिका मे तितली नहीं पाई जाती है. नर तितली मादा तितली से बड़ी होती है. तितली सुन नहीं सकती लेकिन वाईब्रेशन को महसूस कर सकती है. पूरे विश्व में कुल 24 हजार प्रकार की तितलियाँ पाई जाती है.
ज्यादातर तितली फूलो से अपना भोजन प्राप्त करती है. लेकिन कुछ तितली पशुओं के गोबर से भी अपना भोजन ढूढ़ लेती है और कुछ पके हुए केलो से अपना पेट भरती है. धरती पर कई पक्षी और कीड़े तितली को खा जाते है. इसमे तिलचट्टे ( क्रॉकरोच ) मुख्य है.
तितली दिन में भोजन की तलाश में घूमती है और रात को निष्क्रिय हो जाती है. कुछ प्रकार की तितली धुप में रहना पसंद करती है और कुछ छाया में रहना पसंद करती है.
प्रजनन के लिए तितली कई किलोमीटर्स तक का सफर कर लेती है. भारत में पाये जाने वाली सबसे बड़ी तितली कोमन बर्डविंग होती है.
अक्षर लोग रंगबेरंगी तितलियोंको देखकर उसे पकड़ने की लालच को नहीं रोक सकते. मगर आप जानते है ऐसा करने पर उसकी मृत्यु हो सकती है.
वैसे तो तितलियोंको पकड़ना आसन नहीं है, क्योंकि उसे तुरंत पता चल जाता है और उड़ जाती है. मगर आप जबरदस्ती उसकी पंख को कशकर पकड़ोगे तो उनकी पंख पर लगा पावडर जैसा पदार्थ अपनी उंगलिओ पर लग जाता है. जो उनके लिये घातक है.
वो पावडर दुबारा नहीं बनता है अतः उसे उड़ना भारी पड़ जाता है. इसीलिए तितली के पंखो को कभी पकड़ना नहीं चाहिए. वैसे पुरानी तितलियोका यहां वहां टकरानेसे , या फुलसे टकराने से पावडर घीर जाता है.
तितली के बारेमें सुंदर पंक्तिया के साथ आजकी पोस्ट का समापन करुंगा.
” तितली उडी , उड़ जो चली , फूल ने कहा आजा मेरे पास , तितली कहे मै चली आकाश. “
तितली उडी, उड़ ना सकी , बस में चढ़ी, सीट ना मिली,
सीट ना मिली तो रोने लगी. ऊऊऊ.. उउउ…. ऊऊऊ.
कंडक्टर बोला आजा मेरे पास, तितली बोली हट बदमाश.
हट बदमाश, मेरा घर है पास….
—-=== शिव सर्जन ===——