महाभारत की एक पात्र, गांधार देश की “गांधारी”| Gandhari

GANDHARI

      महाकाव्य महाभारत हमारा धर्मिक पौराणिक महाग्रंथ है. मूल स्वरूप मे यह एक महाकाव्य है. कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं मे इसका अनुवाद हुआ है. आज मुजे ” गांधारी ” जो महाभारत की एक मुख्य पात्र थी तथा महाराज धृतराष्ट्रकी पत्नी और प्रमुख खलनायक दुर्योधन की माँ थीं. 

          गांधारी अंधी नहीं थी, मगर पति धृतराष्ट्र आँखों से अंध होने के कारण उन्होंने खुद की आँखों पर भी हमेशा के लिए पट्टी बाँध कर रखनेका प्रण लिया था. महाकाव्य महाभारत के अनुसार वो सौ पुत्रों की माता थीं. वो गांधार ( हाल अफगानिस्तान ) की राजकुमारी थी.  

        उनके पिता का नाम सुबला था. शकुनि की बहन थी. मगर आपको पता है ? गांधारी की बेटी भी थी जिसका नाम दुशाला था. राजा ध्रतराष्ट्र का विवाह गांधार अफ़ग़ानिस्तान देश की राजकुमारी गांधारी के साथ हुआ था.

       गांधारी की जन्म कुंडली मे दोष था. अतः एक साधु के कहने के अनुसार उसका विवाह पहले एक बकरे के साथ किया गया था. बाद मैं उस बकरे की बलि दे दी गयी थी. यह बात गांधारी की शादी के समय छुपाई गयी थी.

      गांधारी गांधार देश के ” सुबल ” नामक राजा की कन्या थीं . गांधार की होने के कारण उसे गांधारी कहा जाता था. वैसे गांधार आज के अफगानिस्तान का एक क्षेत्र था जिसे आज कंधार कहा जाता है. गांधारीके भाई का नाम शकुनी था. गांधारी के 100 पुत्र थे. 

        महाभारत का युद्ध शुरू होने से पहले गांधारी ने अपने बेटे दुर्योधन की सुरक्षा के लिए उसे एक दिन कहा कि वह गंगा में स्नान करने के पश्चात उसके सामने नग्न अवस्था में उपस्थित हो. गांधारी भगवान शिव की परम भक्त थीं. शिव की तपस्या करके गांधारी ने भगवान शिव से यह वरदान पाया था कि वह जिस किसी को भी अपने नेत्रों की पट्टी खोलकर नग्नावस्था में देखेगी, उसका शरीर वज्र का हो जाएगा. 

      दुर्योधन ने अपनी माता की आज्ञा का पालन किया और वह गंगा स्नान के लिए चला गया. स्नान करने के बाद माता गांधारी के पास नग्न अवस्था में जा रहा था तब कृष्ण ने आकर रोका और कहा कि तुम ऐसी अवस्था मे अपनी मां के महल की तरफ जा रहे हो ? आखिर बात क्या है?

        दुर्योधन उत्तर दे इससे पहले ही कृष्ण बोले, दुर्योधन तुम छोटे थे तो बात अलग थी. अब तुम बड़े हो गए हो. फिर भी तुम माता गांधारी के सामने नग्न अवस्था मे जाना पसंद करोगे ? क्या यह ‍उचित है ? माता के सामने नग्न जाने पर तुम्हें शरम आनी चाहिए. 

        कृष्ण कि बात सुनकर दुर्योधन ने अपनी जंघा पर पत्ते लपेट लिए और गांधारी के समक्ष उपस्थित हो हुआ. जब गांधारी ने अपने नेत्रों से पट्टी खोल कर उसे देखा तो उसकी दिव्य दृष्टि जंघा पर नहीं पड़ सकी, जिस कारण दुर्योधन की जंघाएं वज्र की नहीं हो सकीं. बाकी दुर्योधन का पुरा शरीर वज्र का हो गया. 

       परिणाम स्वरूप गदाधारी भीम ने अपने प्रण के अनुसार महाभारत के अंत में दुर्योधन की जांघ पर प्रहार किया और दुर्योधन मारा गया. 

        धृतराष्ट्र से शादी होने से पहलेसे ही गांधारी विधवा थीं. हमने देखा कि उसका विवाह एक बकरे के साथ किया गया था ये बात जब धृतराष्ट्र व कौरवों को पता चला तो सब बहुत क्रोधित हो गये. धृतराष्ट्र के पुत्र दुर्योधन ने गांधारी के पिता राजा सुबल यानि अपने नाना को पूरे परिवार सहित कारागार में डाल दिया. कारागार में उन्हें खाने के लिए केवल एक मुट्ठी चावल दिए जाते थे. जब राजा सुबल को यह पता चला कि यह उनके परिवार का विनाश करने की साजिश है तो उन्होंने यह निर्णय लिया कि वह एक मुट्ठी चावल केवल उनके सबसे छोटे पुत्र शकुनि को ही दिए जाएं ताकि उनके परिवार में से कोई तो जीवित बच सके.

      जब दुर्योधन ने यह देखा कि केवल शकुनि ही जीवित बचे हैं तो उन्होंने उसे क्षमा किया, और हस्तिनापुर में ही रहने को कहा. इसके पश्चात शकुनि ने कौरवों के बीच रहकर ही अपने पिता और परिवार की मृत्यु का बदला लेना का मन ही मन निश्चय किया था. 

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