” FREEDOM AT MIDNIGHT” आधी रात को आज़ादी.

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भारत का स्वतंत्रता दिवस हर वर्ष 15 अगस्त को मनाया जाता है. ई सन 1947 में इसी दिन भारत के रहवासियों ने ब्रिटिश शासन से स्‍वतंत्रता प्राप्त की थी. यह भारत का राष्ट्रीय त्यौहार है.

15 अगस्त 1947 में देश आजाद हुआ था और तब से हर साल इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है. 15 अगस्त को अपनी आजादी का जश्न मनाने वाला केवल भारत ही नहीं है. इसके अलावा 4 ऐसे देश है जो 15 अगस्त के दिन ही आजाद हुए थे.

जिसमें बहरीन, बहरीन परशियन गल्फ की अहम आइडलैंड कंट्री है. इस देश को 15 अगस्त 1971 में यूके से आजादी मिली थी. इसके अलावा उत्तर और दक्षिण कोरिया, लिकटेंस्टीन और रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो भी शामिल हैं. कॉन्गो को 15 अगस्त 1960 के दिन फ्रांस से आजादी मिली थी. नेपाल का कोई भी स्वतंत्रता दिवस नहीं है. नेपाल एक ऐसा दक्षिण एशियाई राष्ट्र है जो कभी उपनिवेश नहीं बना या संरक्षित राज्य नहीं बना.

आजादी का जिक्र करते मशहूर लेखक डोमिनिक लैपीयरे और लैरी कॉलिन्स ने अपनी किताब ” फ्रीडम एट मिडनाइट” में 14 अगस्त 1947 की आधी रात के बारेमें लिखा है कि कई ” सैनिक छावनियों, सरकार दफ्तरों, निजी मकानों इत्यादि सभी स्थानों पर फहरा रहे ब्रिटिश झंडे को उतारा जा रहा था.

14 अगस्त को जब सूर्यास्त हुआ तो देशभर में यूनियन जैक ने ध्वज-दंड का त्याग कर दिया. ताकि वे चुपके से भारतीय इतिहास के भूतकाल की एक चीज बनकर रह जाए ” 14 अगस्त की सुबह से ही देश के शहरों और गावों में जश्न शुरू हो गया था. लोग साइकिल, बैलगाड़ी व जैसे तैसे इंडिया गेट की तरफ पहुंच रहे थे. इस दौरान हर जगह राष्ट्रगान सुनाई पड़ रहा था.

अंग्रेजों ने भारत को 14-15 अगस्त की आधी रात को आजादी दी थी. इस दौरान संविधान सभा की भवन के बाहर आधी रात के आकाश से बारिश हो रही थी. भवन को चारों तरफ से हजारों भारतीयों ने घेर रखा था. वें सभी भींग रहे थे, लेकिन आजादी की खुशी उन्हें रोमांचित कर रही थी.

इस दौरान जवाहरलाल नेहरू ने आजादी की घोषणा की. यह समारोह बड़ा ही भव्य था. जवाहरलाल नेहरूजी सूती जोधपुरी पायजामे और बंडी में थे. इस समय वल्लभबाई पटेल सफेद धोती में वहां मौजूद थे. रात तीन बजे तक शपथ ग्रहण आदि समारोह चला, बाद कुछ लोग अपने घर चले गए. अगले दिन 15 अगस्त 1947 की सुबह श्री जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले पर यूनियन जैक की जगह भारत का तिरंगा झंडा फहराया था.

आजादी के समय तक हमारे भारत देश का संविधान तैयार नहीं हुआ था. संविधान 1949 में बनकर तैयार हुआ और 26 नवंबर 1949 को स्वीकार किया गया. 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा के सदस्यों ने अंतिम रूप से संविधान पर हस्ताक्षर किए और 26 जनवरी 1950 से इसे देश भर में लागू कर दिया गया. तब से 26 जनवरी को “गणतंत्र दिवस” के रूप में मनाया जाने लगा. उससे पहले तक देश 26 जनवरी को “स्वतंत्रता दिवस” के रूप में मनाता था. 26 जनवरी को संविधान इसलिए अपनाया गया, क्योंकि 1930 में इसी तारीख को पहली बार भारत के पूर्ण स्वतंत्रताका संकल्प लिया गया था.

तारिख : 15 अगस्त 1947 के दिन भारत आजाद हो गया. लेकिन हमारे स्वाभिमानी और देशभक्त भारतीयों ने तो अपना स्वतंत्रता दिवस 17 साल पहले से मनाना शुरू कर दिया था. जब दिसंबर 1929 में लाहौर में हुए कांग्रेस के अधिवेशन में ” पूर्ण स्वराज्य” की घोषणा की गई थी और जनवरी 1930 के पहले सप्ताह में कांग्रेस कार्यसमिति ने प्रस्ताव पारित कर ता : 26 जनवरी 1930 को देश भर में पूर्ण स्वराज्य यानी पूर्ण स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का आव्हान किया था.

तभी से हर साल 26 जनवरी को गांवों, मुहल्लों, शहरों में हजारों लोग छोटे-बड़े दल बनाकर ब्रिटिश शासन से भारत की पूर्ण आजादी की प्रतिज्ञा लेकर तिरंगा फहराते थे, और इस दिन को स्वाधीनता दिवस के रूप में मानने लगे थे.

आखिरकार ता : 20 फरवरी 1947 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने घोषणा की, कि जून 1948 तक ब्रिटेन भारत को आजाद कर देगा. इसके साथ फरवरी 1947 में भारत के नए वायसराय के रूप में लॉर्ड लुईस माउंटबेटन की नियुक्ति हुई. जो भारत के आखिरी वायसराय और आजाद भारत के पहले गवर्नर जनरल बने थे.

भारत आने के बाद माउंटबेटन ने अपनी 3 जून 1947 को ” थर्ड जून प्लान जिसे ” माउंबेटन प्लान ” के नाम से जाना जाता है, उसे पेश किया. इसमें देश की आजादी के साथ ही भारत और पाकिस्तान के बंटवारे की बात भी कही गई थी. इसके अगले ही दिन 4 जून को एक प्रेस कांफ्रेंस में माउंटबेटन ने ऐलान किया कि अंग्रेज अगस्त 1947 के मध्य तक भारत छोड़ देंगे. माउंटबेटन ने यह भी कहा कि वे 15 अगस्त 1947 को भारतीयों के हाथ में सत्ता सौंप देंगे. माउंटबेटन प्लान को ही भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के रूप में ब्रिटेन की संसद ने जुलाई 1947 में पारित किया.

भारतीयों के लिए स्वतंत्रता की घोषणा किसी दिवास्वप्न से कम नहीं थी. इसके लिए उन्होंने कई कुर्बानियां दी थी. सदियों तक यातनाएं सही थी. हालांकि एक दुखद बात यह थी कि देश का बंटवारा भी तय हो चुका था.

प्रश्न उठता है कि माउंटबेटन ने आजादी के लिए 15 अगस्त का ही दिन क्यों चुना? तो 15 अगस्त को आजादी देने का फैसला पूरी तरह से माउंटबेटन का निजी फैसला था. 15 अगस्त के दिन को माउंटबेटन ने इसलिए चुना क्योंकि दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान 15 अगस्त 1945 को ही जापानियों ने मित्र राष्ट्रों के आगे आत्मसमर्पण किया था और दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति हुई थी. माउंटबेटन का मानना था कि यह दिन उनके लिए खास है और इस तरह उन्होंने भारत को आजाद करने के लिए इस तारीख को चुना था.

भारत की आजादी का दिन जब 15 अगस्त 1945 तय हो गया तब यह खबर रेडियो पर प्रसारित की गई. जैसे ही यह खबर रेडियो पर प्रसारित हुई तो एक तरफ पूरे देशमें खुशी की लहर दौड़ गई, वहीं दूसरी तरफ कई ज्योतिषियों ने इसका भारी विरोध किया.

उनका मानना था कि ज्योतिष गणना के मुताबिक यह दिन अशुभ और अमंगलकारी था. इसके लिए दूसरी तारीखों का सुझाव भी दिया लेकिन माउंटबेटन 15 अगस्त की तारीख पर ही अड़े रहे. इनके बीच ज्योतिषियों ने बीच का रास्ता निकालते हुए 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि का समय तय किया. क्योंकि अंग्रेजी परंपरा अनुसार रात 12 बजे के बाद अगला दिन शुरू होता है, वहीं हिन्दी गणना के अनुसार नए दिन की शुरुआत सूर्योदय के साथ होता है.

ऐसे में आजादी के जश्न के लिए अभिजीत मुहूर्त को चुना गया, जो रात 11 बजकर 51 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 39 मिनट तक रहने वाला था. और इसी तय समय में जवाहर लाल नेहरू को अपना भाषण भी समाप्त करना था. जैसे ही आजादी का वक्त नजदीक आया, आजादी की दीवानी जनता ने आधी रात से ही जश्न मनाना शुरू कर दिया.

भारत के आजादी के त्योहार को पूरे उमंग से देश भर में मनाने की तैयारी 14 अगस्त की रात से ही शुरू हो गई थी. उस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने के लिए 14 अगस्त 1947 की रात 11 बजे नई दिल्ली में कांस्टिट्यूशन हॉल में डॉ राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में संविधान सभा का भी विशेष सत्र आयोजित हुआ.

ता : 14 और 15 अगस्त की रात को ठीक 12 बजे जब देश आजाद हो रहा था, संविधान सभा के सदस्यों ने आजाद भारत की सेवा और रक्षा के लिए एक प्रतिज्ञा की थी. 75 शब्दों की इस प्रतिज्ञा में- त्याग, तपस्या, सेवा, अर्पण, उचित, गौरवपूर्ण, संसार, शांति, मानव-जाति, कल्याण और खुशी- जैसे शब्द शामिल थे.

आजादी के दिन 15 अगस्त 1947 को साढ़े आठ बजे लुईस माउंटबेटन ने आजाद भारत के पहले गवर्नर जनरल के पद का शपथ लिया. उसके बाद नेहरू और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों ने शपथ ग्रहण की. यह शपथ ग्रहण समारोह “गवर्मेंट हाउस” में हुआ. जिसे 15 अगस्त 1947 से पहले “वायसरॉय लॉज” कहा जाता था और अब जिसे “राष्ट्रपति भवन” के नाम से जानते है.

शपथ ग्रहण के बाद सबसे पहले सुबह साढ़े दस बजे कॉन्स्टिट्यूशन हॉल के ऊपर तिरंगे को फहराया गया. शाम 6 बजे हजारों लोगों की उपस्थिति में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इंडिया गेट के पास “प्रिंसेज पार्क” में पहली बार आजाद भारत का राष्ट्रीय ध्वज “तिरंगा” को फहराया. इसके बाद राष्ट्रगान हुआ और 31 तोपों की सलामी दी गई.

लाल किले पर नेहरू ने पहली बार 16 अगस्त 1947 को तिरंगा फहराया और पहले स्वतंत्रता दिवस का भाषण दिया. इस तरह लाल किले पर आजाद भारत का पहला तिरंगा 16 अगस्त 1947 को फहराया गया.

आजादी तो 15 अगस्त 1947 को मिल गई लेकिन तब तक राष्ट्र गान और राष्ट्र गीत को अपनाया नहीं जा सका था. 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान अपनाया गया और 24 जनवरी 1950 को ही राष्ट्रीय गीत को अपनाया गया.

संविधान सभा के विशेष सत्र में लुईस माउंटबेटन को आजाद भारत का पहला गवर्नर जनरल नियुक्त किए जाने की घोषणा की गई. इसके बाद ही ता : 14-15 अगस्त की रात को संविधान सभा द्वारा राष्ट्रीय पताका- तिरंगा- राष्ट्र को भेंट की गई. यह गौरवशाली काम संविधान सभा की महिला सदस्यों की ओर से श्रीमती हंसा मेहता ने किया था.

उत्साहित लोगोंने आधी रात को ही इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने और आजादी के जश्न को मनाने के लिए लोगों का सैलाब सड़कों पर उतर आया था. लोग कांस्टिट्यूशन हॉल के बाहर जश्न मना रहे थे. और एक दूसरों का अभिवादन कर रहे थे.

आजादी के दिन ता : 15 अगस्त 1947 को ठीक साढ़े आठ बजे लुईस माउंटबेटन ने आजाद भारत के पहले गवर्नर जनरल के पद का शपथ लिया. उसके बाद नेहरू और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों ने शपथ ग्रहण की. यह शपथ ग्रहण समारोह “गवर्मेंट हाउस” में हुआ. जिसे तारीख : 15 अगस्त 1947 से पहले “वायसरॉय लॉज” कहा जाता था और अब जिसे “राष्ट्रपति भवन” के नाम से जाना जाता है.

शपथ ग्रहण के बाद सबसे पहले सुबह साढ़े दस बजे कॉन्स्टिट्यूशन हॉल के ऊपर तिरंगे को फहराया गया. शाम ठीक 6 बजे हजारों लोगों की उपस्थिति में जवाहर लाल नेहरू ने इंडिया गेट के पास ” प्रिंसेज पार्क ” में पहली बार आजाद भारत का राष्ट्रीय ध्वज “तिरंगा” को फहराया गया. इसके बाद राष्ट्रगान हुआ और 31 तोपों की सलामी दी गई.

लाल किले पर नेहरू ने पहली बार 16 अगस्त 1947 को तिरंगा फहराया और पहले स्वतंत्रता दिवस का भाषण दिया. इस तरह लाल किले पर आजाद भारत का पहला तिरंगा ता : 16 अगस्त 1947 को फहराया गया.

सन 1950 से पहले 26 जनवरी को भी स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाया जाता था?

आजादी के समय तक हमारा संविधान तैयार नहीं हुआ था. संविधान 1949 में बनकर तैयार हुआ और ता : 26 नवंबर 1949 को स्वीकार किया गया. तारिख 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा के सदस्यों ने अंतिम रूप से संविधान पर हस्ताक्षर किए और ता : 26 जनवरी 1950 से इसे देशभर में लागू कर दिया गया. तब से 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. उससे पहले तक 26 जनवरी को हम लोग स्वतंत्रता दिवस के रूप में ही मनाते थे. ता : 26 जनवरी को संविधान इसलिए अपनाया गया, क्योंकि 1930 में इसी तारीख को पहली बार भारत के पूर्ण स्वतंत्रता का संकल्प लिया था.

हमें आजादी तो ता : 15 अगस्त 1947 को मिल गई लेकिन तब तक राष्ट्र गान और राष्ट्र गीत को अपनाया नहीं जा सका था. 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान अपनाया गया और 24 जनवरी 1950 को ही राष्ट्रीय गीत को भी अपनाया गया.

भारत की आजादी जनता के लिए एक नये युग की शुरुआत थी जो एक नए दर्शन, विचार और सिद्धांत से प्रेरित थी.

76 साल पहले एक साथ दो देश आजाद हुए. 14-15 अगस्त 1947 की आधी रात को दो राष्ट्रों, भारत और पाकिस्तान का जन्म हुआ. दोनों देश आधी रात को अस्तित्व में आए लेकिन पाकिस्तान अपना स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त के बजाय एक दिन पहले यानी 14 अगस्त को मनाता है. भारत 15 अगस्त को आजादी का उत्सव मनाता है. मगर आपको पता है ? पाकिस्तान ऐसा क्यों करता है ?

ता : 14 अगस्त, 1947 को रमज़ान का 27वां दिन भी था. जिसे इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक पाक़ दिन माना जाता है क्योंकि इसी रात को इस्लाम मज़हब की सबसे पाक़ किताब क़ुरान शरीफ मुकम्मल हुआ था. इन्हीं तमाम वजहों से पाकिस्तान अपना स्वंतत्रता दिवस 14 अगस्त का मनाता है.

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