मानव “अनीति” भ्रस्ट्राचार की “जननी” है. | Manav Aniti Brashtrachar Ki Janeni hai.

अत्र तत्र सर्वत्र भ्रस्ट्राचार फैला हुआ है. आज सभी जगह भ्रस्ट्राचार शिस्टाचार बन चूका है. मानवता के दुश्मन, अनीति जिसका धर्म बन चूका है , ऐसे लोग जिन्होंने लाज लज्जा …

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