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जीने की कला – मनुष्य स्वभाव| Jine Ki kala – Human Nature.

कुदरत ( ईश्वर )भी कमालकी चीज है. ना तो वो दिखता है, ना तो वो बोलता है. फिरभी सुनता सबका है. उसके दरबार में देर है मगर अंधेर कतई नहीं …

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